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Monday, 13 June 2016

Inspired by Sufi Saint Jalaaluddin Mevlana Rumi ..

क्या कहती है ये बाँसुरी सुनो इसको
कि मैं बस विरह की कहानी हूँ
काट कर क्यों ले आये हो मुझको
जुदा करके मुझे मेरी जड़ से
अब कौन सा गीत निकालोगे?
पूरी छिली पड़ी हूँ
जाने कितने सुराख़ मुझमे
कैसे समझोगे तुम पीड़ा मेरी ?तुम नहीं समझ पाओगे
फिर कैसे मुझे बजाओगे सबको कैसे बतलाओगे
हवा की दरकार नहीं मै आग के ज़रिये बजती हूँ
जो खुद भी जला हो राख भी हुआ हो
उसी को ढूंढती फिरती हूँ वही समझ पायेगा
आवाज़ जो निकालेगा वो ...
जंगल जंगल गूँज जायेगी
मुझे मेरी शाख तक ले जायेगी


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