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Monday, 13 June 2016


एक ..

जुदाई नहीं होती प्यार में
जुदा नहीं करता ये कभी
कर ही नहीं सकता
बांधता है बस .. बाँध बनाता है
हिम्मत ताक़त और...
और भी ज़्यादा पानी देकर
बहना सिखाता है नदी को
अकेले ....
फिर छोड़ देता है
जुदा नहीं करता ये कभी
कर ही नहीं सकता ....

दो ..
बरसते हुए एक दफ़ा
बारिश की एक बूँद ने
चमेली से कहा " प्रिय
मुझे अपने ह्रदय में बसा लो"
वो कुछ कहती इसके पहले ही
बूँद बरस गयी।
चमेली तो बस सोच में पड़ गयी
वो कहती भी तो क्या ?
जबकि वो जानती थी
बूँद को आगे बढ़ना होगा
मरना होगा बरसना होगा
उधर वो बूँद बगैर जवाब ही
बरस गयी ....
वो भी तो जान चुकी थी कि
फ़ना होकर भी एक रास्ता है
पौधें की जड़ में समाकर
पहुँच भी गयी
और अब वही रहती है
चमेली के ह्रदय में....

तीन ..

तकलीफ़ में नहीं देख पाता था
किसी को भी वो ...
दुखी लोगो की आंखों में देखकर
उनके आँसू खींच लिया करता था
आसुओं को अंजुरी में भरकर फिर
एक तालाब में फेंक देता था
रोज़ाना जाने कितने आसूँ
भरता था उस तालाब में
शाम को आकर आंसुओं के इस
तालाब किनारें बैठ जाता था
गौर से देखा करता था
एक एक आसूँ को
बंद आँखों से महसूस कर उन्हें
वो सबके आसूँ रोता था ...
तालाब जब सूख जाता था
वो फिर निकल जाता था
कोई फ़कीर पीर बाबा होगा
एक कहानी में पढ़ा था |

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