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Monday, 13 June 2016

वृन्दावन मेरा मन ..

एक वृन्दावन होता है हर किसी के मन में 
पेड़ो से परिंदों से भरा मधुबन होता है ये
जामुन आम पीपल कीकर चन्दन
बरगद कोयल चातक मयूर सब होते है यहाँ
नीला गहरा नीला आकाश भी है
मोरपंख के रस में ढला
नीला नीला एकदम नीला   
ऊंचा बहुत ऊंचा पहाड़ भी है
इंद्र पर्वत जैसा एकदम वैसा
झरने बहते है नदिया बहती है
और सूरज की रश्मियों में नहाकर
नदियों में तरी लगाकर
लोग रूह निहाल करते है अपनी  
थककर जीवन की आपा धापी से
हैरान होकर सब यहीं आते है
अपने मन के वृन्दावन में ...




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