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Tuesday 14 June 2016

behind me - dips eternity
before me - immortality
myself - the term between


मरता नहीं कभी कोई
मौत कहीं नहीं आती
आती तो ज़िंदगी है
कुछ वक़्त को कभी
जैसे ऊम्र दरख्तों की होती
मिट्टी तो बस मिट्टी होती
पर हमेशा होती
जैसे बूँद तो दिखती
बनती बिगड़ती
पर सागर कहाँ से आया
कहाँ कोई जानता ?
अनहद से आई हूँ मैं भी
अनहद को जाना अब
एक वक्फा हूँ बस बीच का
लाफ़ानी हूँ ...


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