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Monday, 13 June 2016

१-एक क्राइस्ट था ..

गाँव में हर साल , क्रिसमस के नाटक में
वो ही क्राइस्ट बनता था ..
नाटक करते हुएँ धीरें धीरें
अचेतन उसका चेतन बनता जाता था
हर अन्याय पर अवाज़ उठाता वो  
ककंड पत्थर से मारा जाता था
फिर.. एक दिन उसे कोई मिला
जिसने उसे पहचान लिया
भीतर बाहर सब जान लिया
दफ़न करते वक़्त वो बोला
आज इसका नाम बर्फ़ पर लिखा है
पर ये बर्फ़ पिघलती जायेगी
और वो दिन भी आएगा
ये जब नदी बन जाएगा |
एक क्राइस्ट था....

2- एक जुगनी थी 
एक जुगनी थी ...
वो मीठे पान खाती थी
लाहौरी सूट पहनती थी
फुर्तीली बिल्ली जैसी थी
कूदा फांदा करती थी
एक जुगनी थी ...
निडर निर्भीक बच्ची थी
कमली थी दीवानी थी
बारिश जैसी दिखती थी
घूम घूम कर चलती थी
बस नाचा गया करती थी
एक जुगनी थी ...
पाक़ साफ़ सी बच्ची थी
पतंग जैसी उड़ती थी
डोरी रब को थमाती थी
नशे में उड़ती फिरती थी
रब की राज दुलारी थी
एक जुगनी थी ...
पीपल जैसी लगती थी
न बोया किसी ने
न फसल किसी की
मर्ज़ी से उगती फिरती थी
एक जुगनी थी ...






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