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Tuesday 19 July 2016

बाज़ ..


चोट खाया तड़पता बिलखता 
कल एक बाज़ गिरा था ज़मीन पर 
मुँह में ख़ून आँखों में आँसू 
हृदय में पश्चात्ताप , कि जो किया 
उम्र भर क्या वो ठीक था ? 
कितने घोंसले उजाड़े
कितनो को चोट पहुँचायी
पर इसके पहले कि वो दम तोड़ता
लोगों ने आकर बड़े प्यार से
इलाज कर संभाल कर
उसे फिर से उड़ा दिया
और शायद ...शायद
फिर वही सब कर रहा हो
वो अनजाने में ...
कितने अजीब होते है ये
ये कर्म के चक्कर
जन्म के चक्कर

Tuesday 5 July 2016

अब कुछ ही दिन में
ये आम का पेड़ ..
बीमार है जो कई दिनो से
अपनी आँखें बंद करके
सो जाएगा ... मर जाएगा 
फिर एक साँस तक न लेगा
ये तक भूल जाएगा कि
अपने आख़िरी पलों में
कीड़े जब इसको जड़ से मिटा रहे थे
जब इसका क़तरा क़तरा सूखा था
तब इसकी एक डॉल ने जाने कैसे
एक पीपल को जन्मा है
ज़रा सी हवा में लहराता है जो
बात बात पर ख़ुश हो जाता है
अनजान बेख़बर बहुत छोटा है वो
कौन संभालेगा उसको
कहाँ जाएगा अब वो ...
उस पीपल का क्या होगा ?
आज एक आम का पेड़ देखा अपनी आख़िरी सांसें गिनता पर अपनी गोद में एक नन्हें पीपल को सम्भाले था ।

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