नन्ही मुन्नी , के प्यार में बिगड़ गया कुछ यु ,
संग, हवा उड़ता किया ,
मिल गया फिर खाक से ,
बैठा रहा , सुनता किया .......
चापे, दौड़े और कदमताल , अजाने ,घंटिया
,गप्शपे और गलिया
एम्बुलेंस ,दमकले , रिंगटोन और सीटिया
चुपके से मै जम गया , गहरी सोच में पड़ गया
जाऊ कि न जाऊ , चलो हिम्मत करू सर उठाऊ
दुखी हुआ फिर देखकर ,व्यस्त बहुत है लोग सभी
छाया मेरी बेकार है सब ,बिछाया जाता हु रोज़ यहाँ
सोच किया बड़ी देर तलक,.......कि
“तुलसी वह न जाइए जहा नैनं नहीं सनेह”
छुपके सबकी नजरो से , वापिस चला , वापिस चला
क्या करूँगा जाकर अब ,...दिल था मेरा बहुत बड़ा
जामुन नहीं , इमली नहीं , बिन नेह तेरे मै कुछ भी नहीं
बीज था बस बीज भर रह जाऊँगा ........
श्रुति
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