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Friday 4 October 2013

ऊट –पटांग बारिश

                  

शाम , समझ गयी थी
बारिश में मेरा दिमाग सरक जाता है......
चश्मे पर पानी की चार बूंदे
और खिडकियों  पर ऑर्केस्ट्रा शुरू
मैदान दूर दराज़ के मेरा आगन
आगन आँखों से ओझल
घर के बाहर सब कुछ उलट पुलट
ज़मीनों पर दरारों का ब्रेक डांस
गाडियों को लगी हिचकियाँ
पीपल भगा छतों तक
तैरती है , छते तालाबो पर
नालियों को कुल्लिया
नाले करे गार्गल
गमलो में देओदार का जंगल नज़र आता है
सच है
बारिश में मेरा दिमाग सरक जाता है ....




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