आसमान अलग था ...
सिर्फ एक चाँद , सिर्फ एक
तारा
खाली भरी शाम जैसे
खाली कि, सिर्फ एक चाँद
और सिर्फ एक तारा
भरी भी इसीलिए ...
एक चाँद से सटा एक तारा
चाँद , बुदबुदाता शायर
फलक के कोने कोने से नज़्मे
लेता
तारे को पेश किये जाये
शुरु में कुछ फीका फीका
तारा
नज़्म दर नज़्म ,चमकता जाये
चाँद की उधारी शायरी,
रौब ज़माने लगी थी
कुछ ही देर में पूरा आसमान
तारो से भर गया
वो एक तारा कही गुम गया ...
श्रुति
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