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Thursday 17 October 2013

पत्तों का शहर

                              
उड़े हुए पत्तो का
एक शहर होगा
पुरानी बस्ती होगी बहुत
सूखे, पीले पत्तो की
दूर सफ़र करके , आते होंगे सब
हाल खबर लेकर , किस्सों की गठरी
सर पर ढ़ोकर लाये जो
खुलती होगी , निकलती होंगी
लंबी छोटी बाते.........
भौरों की दोपहर ,जुगनू की राते 
पतझड़ की बाते  , बहार की बाते  
सावन की बाते  , भोले की बाते   
शाखों की बाते   , महुओं की बाते
ओस का गिरना  , फूलों पर मरना
कउओ के भाषण , बयां के गाने
मोम का बचपन, जवानी की ऐठन 
मौसम बदलना , झुर्री की बाते  
उमर का ढलना , मसों की बाते  
कीड़ो की आहट , फिर गुमसुम गुमसुम  
शाखों से जुदाई , आंधी की बाते  
उड़ना उड़ाना, वो डेरा बदलना
एक बुज़ुर्ग पत्ते ने
बताया सब , आज शाम
चेहरे पर उसके ...
पैरो के निशान थे
                                                                          श्रुति    


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