उड़े
हुए पत्तो का
एक
शहर होगा
पुरानी
बस्ती होगी बहुत
सूखे,
पीले पत्तो की
दूर
सफ़र करके , आते होंगे सब
हाल
खबर लेकर , किस्सों की गठरी
सर
पर ढ़ोकर लाये जो
खुलती
होगी , निकलती होंगी
लंबी
छोटी बाते.........
भौरों
की दोपहर ,जुगनू की राते
पतझड़
की बाते , बहार की बाते
सावन
की बाते , भोले की बाते
शाखों
की बाते , महुओं की बाते
ओस
का गिरना , फूलों पर मरना
कउओ
के भाषण , बयां के गाने
मोम
का बचपन, जवानी की ऐठन
मौसम
बदलना , झुर्री की बाते
उमर
का ढलना , मसों की बाते
कीड़ो
की आहट , फिर गुमसुम गुमसुम
शाखों
से जुदाई , आंधी की बाते
उड़ना
उड़ाना, वो डेरा बदलना
एक
बुज़ुर्ग पत्ते ने
बताया
सब , आज शाम
चेहरे
पर उसके ...
पैरो
के निशान थे …
श्रुति
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