ज़ोर की बारिश में
यूकेलिप्टस के दो लम्बे ऊचे
पेड़
प्यार का कॉन्ट्रैक्ट री–न्यू
कर रहे है
झुक झुक कर कानो में मुह
डालकर
गुपचुप बाते , चल रही है
नयी नयी शर्ते ,नए समझौते
चल रहे है
भाव बढ़ रहे है , नियम बदल
रहे है
गहरे समुंदर के ऊपर लहरें
चलती है जैसे
सच्ची मुहब्बत के फर्जी
रिन्यूअल चल रहे है
प्यार के सभी दांव पेंच चल
रहे है
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