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Sunday, 23 February 2014

After watching Highway..

after watching Highway...wrote these lines..

एक ताज़ा सफ़ेद कागज़ पर
एक आसमान बिछाते है
एक ज़मीन जमाते है
कुछ पहाड़ उगाते है
एक लम्बा एक छोटा
एक तिरछा , एक मोटा
बीच कहीं से , इनके फिर
एक नदी भगाते है
एक सूरज जलाते है
बोकर कुछ बादलों को
एक इन्द्रधनुष फेहराते है
मज़ा बहुत आयेगा.....
चलो ना , एक तस्वीर बनाते है
                                                    श्रुति त्रिवेदी सिंह 

1 comment:

  1. आसमान बिछाकर के तुम
    उस पर ज़मीन जमाती हो
    पहाड़ उगते हैं उस पर
    फिर तुम नदी भगाती हो
    सूरज जलाकर, बोती बादल
    फिर इंद्रधनुष फहराती हो

    तुम तस्वीर बनाती हो और
    यह कविता बन जाती है
    हम पढ़नेवाले हैं जब पढ़ते
    अद्भुत तस्वीर नज़र आती है

    है असमंजस में डाला तुमने
    यह कैसा गड़बड़झाला है
    तस्वीर है सुन्दर कविता भी
    अंदाज़ बड़ा निराला है

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