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Wednesday 25 December 2013

वक़्त ...


जो कुछ भी करा दे
सभी के सर झुका दे
मिटा दे , बना दे
भुला दे , उनको
जो दिल का टुकड़ा होते थे कभी
या पूरा पूरा दिल , कहना मुश्किल है
कितने साल हो गए माँ को गुज़रे
जिंदगी फिर भी रफ़्तार से आगे बढ़ी
वक़्त के काँधे पर हाथ रखकर
आख़िरकार ,भुला दिया वक़्त ने उन्हें भी
कुछ धुंधली सी तस्वीर बची है  
पर आज कई दिनों बाद ...
वो कुछ थका हारा सा बैठा है, एक कोने
और जिंदगी के सफ़ेद कैनवस पर
एक शक्ल उभर आई है
जो पूँछ रही है मुझसे
ठीक तो हो तुम ?
                       श्रुति 

1 comment:

  1. sab ek se badkar ek kai .sb purani yade taza ho jati hai.bahut dil se likhati hai ap....

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