एक आवाज़ आती है
कभी कभी ...
जैसे रात ज़ोर की आंधी आयी हो
मकान सब उजड़ गए हो
कुछ लोग बाकी है बस
इस सुबह तक
दूर बैठे हैं किनारें
आकाश की ज़ानिब देखते
गमगीन है चुपचाप मगर
सन्नाटा है बस ....और
उदासी की आवाज़ आती है
कभी कभी ...
जैसे रात ज़ोर की आंधी आयी हो
मकान सब उजड़ गए हो
कुछ लोग बाकी है बस
इस सुबह तक
दूर बैठे हैं किनारें
आकाश की ज़ानिब देखते
गमगीन है चुपचाप मगर
सन्नाटा है बस ....और
उदासी की आवाज़ आती है
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