कुछ मिला है कहां
मर्ज़ी से कभी ...
विरासत में मिलता है
सबकुछ यहाँ ...
नाम ,ज़ात , माँ बाप
रूप रंग कद
वगैरह वगैरह ...
सोचती हूँ.. सब उलट पुलट
दूँ
कुछ तो करूं
जिसे क्रांति कहते है ..
अपना नाम बदल दूँ
वजह पूछेगा जब कोई
तब कह देंगे ...
पुराना .. सड़ा हुआ था !
No comments:
Post a Comment