थोड़े दिनों पहले कुछ लिखा था जो कहानी से थोडा बड़ा था और उपन्यास से छोटा , इस वजह से वो दोनों के बीच में ही अटक गया ..एक लव स्टोरी थी ..इस कहानी में तीन बड़े क़िरदार थे, "गौरी" उसका पति "राघवेन्द्र" और जिससे वो प्यार करती है, "विक्रमादित्य " गौरी चंचल है और विक्रमादित्य थोडा गंभीर. इस पूरी लव स्टोरी का एक हिस्सा जो हमे बहुत पसंद है और जिसको लिखने में भी बड़ा मज़ा आया था , वो आज अपने ब्लॉग में डाल रहे है ...यहाँ पर गौरी के पूछने पर , विक्रमादित्य उसे प्यार के बारे में बताता है , जितना भी वो जानता है ...पढ़िए ..
“उस दिन आप प्यार के बारे में बता रहे थे , क्या होता है
ये "प्यार" कैसे होता है , थोडा और बताएँगे ?”
“ ज़्यादा तो मै भी नहीं
जानता पर जो भी पता है वोह ज़रूर बताऊंगा कम से कम कोशिश तो करूँगा ही और विक्रमादित्य कहने लगता है “ प्यार को समझना
आसान भी है और मुश्किल भी , ये एकदम खामोश भी हो सकता है , बस चुपचाप जो सुनता रहे ,
समझता रहे , जानता रहे , देखता रहे, महसूस करता रहे सबकुछ, पर रहे हमेशा खामोश, मौन में जी सकता है
ये मेरी तरह , और ये बोल भी सकता है , गा
भी सकता , नाच भी सकता है झूम भी सकता है , हँसता भी है खिलखिलाता भी है , आपकी
तरह. ये वो होश भी है की जो जन्मो जन्मो
की नींद से जगा दे सोते हुए इंसान को , जगा दे फिर ऐसा की रौशनी के सिवा कुछ दिखाई
ही न दे , और ये वो नशा भी है जो सुला दे ऐसे की होश भी बेहोश हो जाए ,और फिर कभी
होश में ना आये , ये बड़ा मज़बूत रिश्ता भी
है और रिश्तों से मुक्ति भी ये बिना बांधे भी बाँध ले और बाँध कर भी बाँध न पाए ,
प्यार को दूरियों से कुछ लेना देना नहीं ,
प्यार किसी दरिया की तरह है जो बस बहना जानता है, किसी झील की तरह नहीं की जो किनारों से बंधा हो पर किसी
समुन्दर् की तरह भी नहीं ,की जिसका कोई
किनारा ही न हो, ये कोई फूल नहीं की जिसे छू सके ,तोड़ सके या जो मुरझा जाए , ये तो
किसी खुशबू की तरह है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता , तोडा नहीं जा सकता ,और कभी
मुरझाता भी नहीं , ये खुशबू तो है पर किसी खुशबू की पहचान नहीं आज़ाद है ये हर एक
पहचान से , हर एक नाम से , प्यार तो किसी छोटे बच्चे की तरह है जो लड़ता है झगड़ता
,है सीढियां चढ़ता है उतरता है पर रहता है जिंदा हमेशा , ये कभी थकता नहीं , कभी
बूढ़ा भी नहीं होता कभी मरता भी नहीं. ये
रंग है इतना पक्का की चढ़ जाये तो उतरता ही
नहीं , न फीका पड़ता है न हल्का होता है लाख धूप और बारिश होती रहे पर कोई दाग नहीं
पड़ता कोई धब्बा नहीं दीखता ,ये तो बस गहरा होना जानता है ये किसी शायर के जैसे भी हो
सकता है उदास , ग़मगीन, बोझिल पर ये उसी शायर की लिखी कोई ग़ज़ल भी हो सकता है, ताज़ी और दिलकश जिसे सुनकर नसों में
बहता खून , खुदा बन जाए और जिससे इबादत की खुशबू भी आये . विक्रमादित्य बस बोलता
जा रहा था और गौरी बिना पलक झपकाए ख़ामोशी से
सब सुनती जा रही थी. वो आगे कहता है , ये कोई शंका नहीं ,सवाल नहीं , सोच
नहीं , विचार नहीं ,कोई अवधारणा नहीं कोई नियम भी नहीं , उलझन भी नहीं , कोई
प्रश्न भी नहीं बस ... एक उत्तर है सिर्फ एक उत्तर है , जो हर बार और हमेशा नया
होता है ,अलग अलग तरीके से , अलग अलग में अभिव्यक्त होता है , ये हर जुबां समझता
है और खुद कोई जुबां नहीं बोलता ,ये अँधा होता है ,प्यार सच में अँधा होता है जो देखता नहीं कुछ भी , न मंदिर न मज्जिद ,न
उमर , न समाज ,न रस्म न रिवाज़ ,ये तो बस होना जानता है ,ये या तो है या फिर नहीं, कितना है और कैसा है
, जैसा कुछ भी नहीं होता इसमें और
अगर हो जाए तो वापसी का कोई ज़रिया भी नहीं , बस आगे बढ़ना जानता है , पर प्यार करना
सबके बस की बात नहीं ये वोही कर सकता जो सब कुछ गवाने के लिए तैयार हो , ये सौदा
नहीं कोई लेन देन भी नहीं की जितना दिया उतना मिले ये तो देते ही मिल जाता है
प्यार करते करते पूरी कायनात से प्यार हो जाता है , इंसान जो प्यार में होता है
कोयले से कोहिनूर बनता जाता है. पर रुकना
भी पड़ता है इसे कभी कभी , थमता भी ये है
, मजबूर हो जब तो कुछ भी करता है ये ,जन्मो जन्मो का इंतज़ार भी है या फिर एक ही
जन्म काफी है , ये जिस्मो की जलती आग नहीं
है ये तो दो रूहों के मिलन का कुंदन है ,
इसको समझना आसान भी है और मुश्किल भी ,कैसा होता है ये प्यार ठीक से तो मै भी नहीं
जानता पर कुछ कुछ मेरे जैसा होता है , कुछ कुछ आपके जैसा होता है “
if you like it please comment...
ReplyDeletewah di .this is the perfect definition of love,mind blowing sensible ,heart touching.
ReplyDeleteमैम आप इतना अच्छा कैसे लिख लेती हैं...बहुत ही अच्छा और मन को छू लेने वाला है ये पोस्ट.
ReplyDeletepyaar ko paribhashit karna aasaan nahi hai par apne bakhoobi kar dikhaya, vikramaditya se hame bhi milayiye.......:-)
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