अब लगने लगा है जैसे
कहीं कुछ नहीं है ही नहीं
सब ख़ाली है एकदम
एहसासात ये हृदय ये जिस्म
कुछ भी नहीं यह सब
फिर भी कुछ है अगर
तो बस एक धागा ...
महीन पारदर्शी अदृश्य
मेरा रोम रोम उसी धागे से
जुड़ा मुझे काल के किसी
अनजाने छोर से जोड़ता है
वापिस वहीं खींच लेगा एक दिन
और उसी अनजाने छोर से
तू भी बँधा है
तू भी एकदम ख़ाली है
मेरी तरह
बीच में कुछ है .. अगर
तो कुछ कालों का फ़ासला
और एक धागा....
कहीं कुछ नहीं है ही नहीं
सब ख़ाली है एकदम
एहसासात ये हृदय ये जिस्म
कुछ भी नहीं यह सब
फिर भी कुछ है अगर
तो बस एक धागा ...
महीन पारदर्शी अदृश्य
मेरा रोम रोम उसी धागे से
जुड़ा मुझे काल के किसी
अनजाने छोर से जोड़ता है
वापिस वहीं खींच लेगा एक दिन
और उसी अनजाने छोर से
तू भी बँधा है
तू भी एकदम ख़ाली है
मेरी तरह
बीच में कुछ है .. अगर
तो कुछ कालों का फ़ासला
और एक धागा....
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