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Tuesday, 19 July 2016
बाज़ ..
चोट खाया तड़पता बिलखता
कल एक बाज़ गिरा था ज़मीन पर
मुँह में ख़ून आँखों में आँसू
हृदय में पश्चात्ताप , कि जो किया
उम्र भर क्या वो ठीक था ?
कितने घोंसले उजाड़े
कितनो को चोट पहुँचायी
पर इसके पहले कि वो दम तोड़ता
लोगों ने आकर बड़े प्यार से
इलाज कर संभाल कर
उसे फिर से उड़ा दिया
और शायद ...शायद
फिर वही सब कर रहा हो
वो अनजाने में ...
कितने अजीब होते है ये
ये कर्म के चक्कर
जन्म के चक्कर
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