आसमान नीला होता है
ये तो जानते हैं सब
पर वो स्काई ब्लू वाला
जल्दी दिखता कहाँ
कभी धूप सख्त होती है
कि नज़रे उठती हीं नहीं
कभी कोहरा ढांक लेता है
कभी छिपा जाता हैं बादलों
में
तो कभी धुएँ से झुलसता हैं
फिर ज़िन्दगी यूँ भी गुलज़ार
नहीं
कि दीदारे आस्मां हर रोज़
करे
पर आज सवेरे , ऑफिस आते
वक़्त
दिखा था मुझे ,वो नीला वाला
छोटा सा आसमान ..एक टुकड़े
में
बादलों के पीछे से झांक रहा
था
पर मायूस क्यूँ था वो ?
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