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Thursday 7 August 2014

आसमान





आसमान नीला होता है
ये तो जानते हैं सब
पर वो स्काई ब्लू वाला
जल्दी दिखता कहाँ
कभी धूप सख्त होती है
कि नज़रे उठती हीं नहीं  
कभी कोहरा ढांक लेता है
कभी छिपा जाता हैं बादलों में
तो कभी धुएँ से झुलसता हैं   
फिर ज़िन्दगी यूँ भी गुलज़ार नहीं
कि दीदारे आस्मां हर रोज़ करे
पर आज सवेरे , ऑफिस आते वक़्त
दिखा था मुझे ,वो नीला वाला
छोटा सा आसमान ..एक टुकड़े में  
बादलों के पीछे से झांक रहा था
पर मायूस क्यूँ था वो ?
 
  

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